ये हुस्न ये बांकपन

ये हुस्न ये बांकपन ये कैसी रानाई है
ये चश्म में बाइकाल सी गहरी गहराई है

होश हो भी तो मुझको अब कैसे हो
इस बार जो तुमसे नज़र टकराई है

चलो माना मैं ला-हासिल बुत-परस्त हूँ
कहते हैं आप मुसव्विर भी तेरा शैदाई है

दुनिया हंसती है, दीवाना कहती है, मुझको
मंज़ूर सारे जहाँ की रुसवाई है

हम मरते हैं, जीते हैं, फिर मर जाते हैं
तेरे वस्ल से कहीं अच्छी तेरी जुदाई है

देना दस्तक़ दिल पे तो देना एहतियातन
जाने न दूंगा अबकी जो तू मेरे पास आई है